Aghor Mantra Sadhana : वैसे तो गूगल , इंटरनेट और यूट्यूब पर कई शिव मंत्र मिल जाते हैं और मैंने यह भी अनुभव किया है – यह सब जगह शिव मंत्रों में अघोर मंत्र को सर्व श्रेष्ठ माना गया है ।

पर सत्य यही है कि हर यूट्यूब चैनल और ब्लॉग पर अघोर मंत्र की अधूरी क्रिया दी गयी है। इसीलिए मैं आज आपके सामने उड्डीश तंत्र जो कि भगवान् शिव और रावण का संवाद है – इसमें रावण ने शिवजी से मृत संजीवनी विद्या और अघोर मंत्र Aghor Mantra की विधि जानने की इच्छा की थी। वही असली प्राचीन विधि मैं आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूं । 

इस अघोर मंत्र की साधना क्रिया को उड्डीश तंत्र और अन्य तांत्रिक ग्रंथो में मृत संजीवनी विद्या कहा गया है ।

यह वही क्रिया साधना है, जिससे महाप्रतापी रावण ने भगवान् शिव से प्राप्त किया था, उसका अक्षतः यहाँ वर्णन कर रहा हूं।

Aghor Mantra Tantrok Vidhan अघोर मन्त्र तंत्रोक साधना विधान : 

१) मंगलवार के दिन शमशान में जाकर जनशून्य स्थान पर बैठकर उपर दिए गए मन्त्र का १ लाख मंत्र जाप करें। १ लाख मन्त्र जाप के बाद – साधक / साधिका को चाहिए कि वह इस मंत्र का दशांश हवन करे अर्थांत १ लाख मन्त्र के दसवें भाग की आहुति दें ( शुद्ध गाय के घी से ) ।

२) इसके बाद अंकोल के पेड़ के पास आसन लगाए और शिवलिंग की स्थापना करें । यहाँ उड्डीश तंत्र ग्रन्थ में शिवलिंग का वर्णन नहीं किया गया था । इस अवस्था में चाहे तो बालू (मिट्टी) का शिवलिंग बनाएं या जो भी शिवलिंग आपके पास हो वह स्थापित कर दें। 

३) पास में घट की स्थापना कर – उस घट की सामान्य पूजन करें और अंकोल पेड़ और शिवलिंग को मौली से बाँध दें।

४) अब रोज उस स्थान पर शंकर जी का पूजन करें और अघोर पूजन मंत्र नहीं आता हो तो अघोर मंत्र Aghor Mantra से पंचोपचार पूजन करें – यथा 

१) ॐ अघोरेभ्यो अथ घोरेभ्यो घोर घोरतरेभ्यः सर्वतः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररूपेभ्यः  गंधम समर्पयामि ।

२) ॐ अघोरेभ्यो अथ घोरेभ्यो घोर घोरतरेभ्यः सर्वतः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररूपेभ्यः अक्षतं समर्पयामि ।

३) ॐ अघोरेभ्यो अथ घोरेभ्यो घोर घोरतरेभ्यः सर्वतः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररूपेभ्यः पुपषम समर्पयामि ।

४) ॐ अघोरेभ्यो अथ घोरेभ्यो घोर घोरतरेभ्यः सर्वतः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररूपेभ्यः धूपं आंध्रयामि ।

५) ॐ अघोरेभ्यो अथ घोरेभ्यो घोर घोरतरेभ्यः सर्वतः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररूपेभ्यः दीपम दर्शयामि ।

६) ॐ अघोरेभ्यो अथ घोरेभ्यो घोर घोरतरेभ्यः सर्वतः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररूपेभ्यः नैवेदीयं समर्पयामि ।

५) अब तब तक इस अघोर मन्त्र (Aghor Mantra)का जाप करें, जब तक अंकोल पेड़ में फूल नहीं आ जाएं और प्रतिदिन उस घट की अघोर मंत्र से पंचोपचार पूजन करें। जब फूल के अंदर बीज आ जाएं तो उसे अलग से रख दें और एक मिट्टी में पात्र में रख दें।

६) अब मिट्टी के पात्र में रख कर – उस पर सुहागे का चूर्ण रख दें और ऊपर मिट्टी से ढक दें। 

७) जब पूरा पात्र  मिट्टी सहित सूख जाए तब – पात्र का मुँह उल्टा करके ताम्बे के पात्र में रख कर – ताम्बे के नीचे अग्नि प्रज्वलित कर दें।

८) कुछ ही समय में अंकोल का तेल निकलना शुरु हो जायेगा और मिट्टी हाथ से हटा कर – जो – ४-८ बूंदे तेल निकले उसे संभाल कर रखें। 

९) अब इससे आधा माशा तिल के तेल के साथ मिला कर संभालकर रखें।

Aghor Mantra Ke Fayde अघोर मंत्र के फायदे :

उड्डीश तंत्र में शिव वचन है – इस अंकोल के तेल को अघोर मंत्र Aghor Mantra से अभिमंत्रित कर  रोगी को थोड़ा सा देने से – वह रोग मुक्त  हो जाता है ।

उड्डीश तंत्र में यहाँ तक वर्णन किया है कि यदि किसी मृत प्राणी या सर्प काटे हुए पुरुष के मुँह में १ बूँद अंकोल का तेल अघोर मंत्र से अभिमंत्रित किया जाय तब भी वह मृत पुरुष पुनः जीवित जो उठता है ।

वैसे तो मैंने इस लेख में तंत्रोक और शास्त्रीय विधान के साथ अघोर मंत्र Aghor Mantra का विधान दिए है पर साधक इस श्रावण मास में केवल शिव कृपा प्राप्ति और जीवन सुख, ऐश्वर्या प्राप्ति की कामना के साथ साधना करना चाहे तो , निम्नलिखित विधान है ।

Aghor Mantra Sadhana Anusthan अघोर मंत्र का सामान्य अनुष्ठान विधि : 

१) प्रथम गणेश पूजन (पंचोपचार पूजन ) करे और गणेश मंत्र – ॐ गं गणपतये नमः  ॥ एक माला करे ।

२) अब गुरु मंत्र की पूजन करे (पंचोपचार पूजन ) और गुरु या शिव मंत्र – ॐ नमः शिवाय ॥ एक माला करें।

३) अब जो भी शिवलिंग आपके पास हो उस पर – अघोर मंत्र या पंचाक्षरी मंत्र से अभिषेक ( दूध और गंगाजल या जो भी जल हो ) करें।

४) अब शिवलिंग की पंचोपचार पूजन करें ( जैसा कि ऊपर अघोर मंत्र का  पंचोपचार पूजन मन्त्र दिया है ) और फिर पूरे श्रावण मास में प्रतिदिन अघोर मंत्र Aghor Mantra की ५ या ११ माला करें।

५) यदि संभव हो तो १ लाख मंत्र ३० दिन में पूरा कर – मंत्र का दशांश हवन करें।

६) और यदि संभव हो तो दशांश हवन के बाद अघोर मंत्र से दशांश तर्पण, मार्जन , ब्राह्मण भोजन करें ।

इस तरह सामान्य तरीके से अघोर मन्त्र का १ लाख जाप मात्र ( यदि संभव हो हवन , तर्पण आदि क्रिया करे ) से भी शिव कृपा की प्राप्ति होते ही , आपकी मनोकामना निश्चित रूप से पूर्ण होती है  ।

परमब्रह्म सदाशिव आपकी श्रावण मास में इच्छा पूर्ण करें। इसी के साथ मैं अपनी लेखनी को पूर्णविराम देता हूं।

शिवकृपा अभिलाषी ,

नीरव हींगु