Shakun Shastra in Hindi : भारत में मुख्य रूप से शगुन-अपशकुन को बहुत ही दृढ़ता से माना जाता हैं  । शकुन शास्त्र जिसके द्वारा किसी भी वास्तु , इंसान, परिस्थिति आदि का शुभ -अशुभ, ज्ञान-अज्ञान और कार्यो की पूर्ति या अपूर्ति के ज्ञान को ‘शकुन शास्त्र’ कहते हैं।

शकुन-अपशकुन क्या हैं  ? Shakun Apshakun Kya hai ?

मेरे आध्यात्मिक यात्रा के दौरान, अभ्यास करते समय मुझे पता चल गया है  कि किसी भी घटना के कारण यदि आपको कोई लाभ हुआ है  तो उसे अच्छा  शकुन मान कर  उपयोग करने के लिए गया है।  इसके विपरीत यदि किसी भी घटता के कारण कोई हानि हुई तो उसे बुरा यानि  अपशकुन मान कर  उपयोग करने के लिए लिया गया है । इस अध्ययन करने वाली पद्धति को शकुन -अपशकुन शास्त्र कहते हैं।

जैन ग्रंथों में शकुन के २ प्रकार बताये गए हैं। इसे जैन पद्धति में निमित ज्ञान या निमित विज्ञानं या निमित शास्त्र भी कहते हैं।

दृश्य शकुन और शब्द शकुन Drashya Shakun aur Shabd Shakun

जिस शकुन को आप अपने खुली आँखों से देख सकते हैं ,उसे दृश्य शकुन कहते हैं और जिस शकुन को आप अपनी श्रवण इन्द्रियों ( कानों  से ) से सुन सकते हैं उसे शब्द शकुन कहते हैं  । पर मैं इसे २ मुख्य भाग में विभक्त करूँगा – शकुन और अपशकुन 

अर्थांत – जिस कार्यक्षेत्र में शुभ लक्षण दिखाई और सुनाई दें उसे शकुन कहते हैं  और जिस कार्य में आपको अशुभ दृश्य और वाणी सुनाई देती हैं  उसे अपशकुन कहें।

आज के भौतिक विज्ञानवादी युग में युवाओं को इस शास्त्र ( शकुन शास्त्र ) पर लेश मात्रा भी विश्वास नहीं हैं। पर मैं पूरे विश्वास के साथ बोल सकता हूँ, कि चाहे आप मानें  या नहीं मानें  – शकुन शास्त्र अवश्य  ही कार्य करता है ।

निमित ज्ञानी किसे कहते हैं  ? Nimit Gyani aur Shakun Shastra

निमित ज्ञानी वह विद्वान होते हैं जिन्हें  शकुन अपशकुन विज्ञानं का पूर्ण ज्ञान प्राप्त हो, उसे ही हम “निमित ज्ञानी” कहते हैं  ।इसीलिए जातक या व्यक्ति को चाहिए कि वह निमित ज्ञानी के पास जाकर अपनी घटित घटना के बारे में शुभ-अशुभ पर विचार विमर्श करें। चलिए अब निमित ज्ञान पर विशेष चर्चा करते हैं  ।

निमित ज्ञान पर विशेष मंतव्य :

१) जब भी पहले पहल आपको शुभ लक्षण युक्त दृश्य या वाणी सुनाई देती हैं  परन्तु कुछ समय बाद आपको अशुभ लक्षण – यथा दृश्य या वाणी सुनाई देती हैं  तो निमित ज्ञान कहता हैं  कि इस अवस्था में आपको दूसरा लक्षण – अर्थांत अशुभ लक्षण को प्रधानता देनी चाहिए ।

२) यदि आपके सामने शुभ लक्षण होता है  तो तुरंत ही फलदायी माना  गया है ।

३) इसी प्रकार यदि आपका सूर्य स्वर ( जिसमें  दाहिना नथुने से स्वर / प्राण प्रवाहित होता हैं  उसे सूर्य स्वर कहते हैं  ) हो और दाहिने ओर शुभ दृश्य दिखाई या सुनाई दें  तो अति-शुभ माना  गया है।

४) इसी प्रकार यदि आपका चंद्र स्वर ( जिसमे बायें  नथुने से स्वर / प्राण प्रवाहित होता हैं  उसे चंद्र स्वर कहते हैं  ) हो और बायां ओर शुभ दृश्य दिखाई या सुनाई दे तो अति-शुभ माना  गया है।

शकुन अपशकुन शास्त्र ओर चतुर्थी का चन्द्रमा : Shakun Shastra aur Chaud Ka Chaand

श्री हरीभरदरासुरी कृत “व्यवहार कल्प” में बताया गया है  कि, 

पुरुषेण थवा नार्या, दुष्टव्यन कदाचन ।

चंद्र बिंबं निशि, शक्लचतुर्थी संभवकिलं ॥

अर्थ- हर महीने की शुक्ल पक्ष्य चतुर्थी तिथि के चंद्रमा को कभी भी स्त्री या पुरुष को नहीं देखना चाहिए।

यह महान विनाशकारी हैं। लेकिन अगर शुक्ल पक्ष्य की बीज या शुक्ल पक्ष्य की तीज का चंद्रमा देखा (देखा) गया हैं । तो चाँद देखने में कोई आपत्ति नहीं हैं ।

ऐसा शास्त्रों में कहा गया हैं –

नक्षत्रस्यामुहूर्तय, तिवेश्वराचाप। 

चतुर्ना मपि चैतेषाम् शकुनि दण्डनायक ॥

अर्थांत – शकुन, नक्षत्र, मुहूर्त, तिथि और करण से भी अधिक शक्तिशाली होते हैं।

शुभ संकेत क्या होते हैं ? Shubh Sanket in Shakun Shastra

यदि आपको अच्छा मौका मिले तो शुभकामनाएँ, पालकी, पालकी, हरनी तोता मिले तो चावल, गेहूं, ज्वार ले जाता हुआ मिले तो अनेक शुभ शकुन मिलते हैं। बहुत सारे फायदे प्राप्त होते हैं।

अशुभ संकेत क्या होते हैं ? Ashubh Sanket kya Hote hai

“अपशकुन” के अशुभ संकेत” Ap-Shakun ke Ashubh Sanket

शगुन अपशगुन लिस्ट

यात्रा करते समय यदि आपको – गर्भवती, रजस्वला या विधवा, भैंस या ऊँट पर बैठी स्त्री या पुरुष दिखाई दे अथवा रोने वाले आदमी , नपुंसक, दुष्ट इंसान का दिखना अशुभ माना जाता हैं । 

किसी भी क्षेत्र या घर में प्रवेश करते समय हँसते, गाते, साँप, मेंढक, छिपकलियाँ यदि बीच राह में दिखाई दे या सम्मुख आ जाए  तो बुरा है ।

चलते समय पहले से उठा हुआ पैर अचानक रुक जाता हैं , पैर लड़खड़ा जाता हैं , कपड़ा कहीं फंस जाता हैं , यह अशुभ या अपशकुन माना गया है ।

इसी प्रकार यदि आप किसी अपंग, लंगड़े, बहरे और अंधे व्यक्ति से मिलते हैं,( यात्रा के बीच ) तो आपको कष्ट सहना होगा।

यात्रा के समय यदि लकड़ी का बोझा ढोने वाला आदमी मिल सकता हैं , या कोई बदबूदार वस्तु मिल सकती हैं , बिल्ली मिल सकती हैं  , तो यह बहुत ही अपशकुन हैं  ।

कोयला, राख, हड्डी, पत्थर, तेल, गुड़, चमड़ा, चर्बी, टूटे बर्तन, सूखी घास, कपास, अनाज, पत्तियाँ, बाल, काला पदार्थ, लोहा, पेड़ की छाल, लोहे की जंजीर, धूर्त आदमी, मिल जाए तो बड़ा ख़तरा होता हैं  ओर यदि आपको कोई समर्थक या रोने वाला व्यक्ति मिले तो वेअशुभ संकेत हैं। यदि पागल या गीले वस्त्र पहने व्यक्ति मिले तो भी यह अशुभ होता है ।

कुत्ते का शकुन Kutte Ke Shakun

यात्रा करते समय यदि सड़क पर कुत्ता खेलता दिखे तो लाभ होता हैं  और यदि कुत्ता के कान फफड़ा दिख जाय तो यात्रा न करें। लेकिन अगर कुत्ता खुद के कान खुजाते हुए दिख जाओ तो किसी के गांव या शहर में मत जाना। 

यदि कुत्ता अपने हाथ-पैर दीवार से रगड़ता है  या  मौज-मस्ती करता दिखे तो लाभ होगा। यदि कुत्ता चलते समय बाएं से दाएं से चले तो आपका काम बन जाता हैं । 

यदि कोई यात्रा करते समय कुत्तों के झुंड का सामने दिखाई  देता है , तो वह जिस गाँव में जा रहा है , उस पर बहुत बड़ी विपत्ति आती है अथवा  पतन के संकेत बताता है ,या यह भी संकेत हैं  कि  किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति की मृत्यु जरूर होगी । 

यात्रा के दौरान यदि कुत्ता सम्भोग ( रति क्रिया ) करते हुए हुआ दिख जाए तो अशुभ होता हैं । प्रस्थान करते समय  यदि आपको कोई कुत्ता फर्श पर कुछ सूंघता हुआ दिखाई दे तो बड़ी विपत्ति की आशंका होती है। 

गाँव से बाहर निकलते ही उसकी नज़र एक कुत्ते पर पड़ जाय तो संकेत हैं  कि  सोचे हुए काम अच्छे से पूरे हो जाएंगे। यात्रा के दौरान कीचड़ में सना हुआ कुत्ता मिलना या देखना अशुभ होता है। 

छिपकली के शकुन Chikpkali Ke Shakun

यदि भोजन करते समय छिपकली होश में हो ओर आपके सामने आकर ऊपर  से गिर जाए तो अत्यंत प्रसन्नता होती हैं  ओर यह शुभ माना  गया है। 

आपके सिर पर सफ़ेद रंग की छिपकली गिरने पर आपको छत्र प्राप्त होता है , राज्य पक्ष से सुख मिलेगा और सिर पर काली छिपकली गिरे तो कष्ट होता है।  

माथे पर बालों  पर यदि काली या सफेद छिपकली गिरे तो  धन की प्राप्ति हो । यदि आंखो पर गिर जाए तो बड़े बुज़ुर्ग, जीवन-साथी या पालन-पोषण करने वाले का नाश हो जाता है। 

यदि ऊपरी होंठ पर गिर जाए धन की हानि ओर यदि निचले होंठ पर गिरे  तो बंधन, दाहिने कान पर गिरे तो राजा से दुःख की प्राप्ति ओर बायां कान पर गिरे तो धन की प्राप्ति होती हैं  । 

नाक के ऊपर गिरे तो धन की हानि होती हैं  ।  

यदि आपकी कमर पर गिरे तो व्यापार में हानि होगी। यदि दाहिने हाथ पर गिरे तो विपत्ति, बाएं हाथ पर गिरे तो बंधन, गर्दन पर गिरे तो संतान का नाश होता हैं।  यदि पेट के ऊपर गिरे तो संतान की तरफ से दुःख प्राप्त होता है।

यदि आपकी गोद में अचानक छिपकली गिर जाय तो आपके पुत्र की इच्छापूर्ति होती हैं  । दाहिने पैर की घुटी ( ankle ) पर गिरे तो घर के बुज़ुर्ग को दुःख प्राप्ति औऱ यदि बायें  पैर की  घुटी ( ankle ) पर गिरे तो घर के बुज़ुर्ग को सुख की प्राप्ति होती है। 

मूलत : सफ़ेद छिपकली सुख प्राप्ति औऱ काली छिपकली दुःख प्राप्ति में सहायक होती हैं।

छींक और शकुन शास्त्र ( Shakun Shastra )

१) यदि पूर्व दिशा में छींक आये तो शुभ शकुन ( shakun ) समझें ।

२) अग्नि कोण ( दक्षिण और पूर्व दिशा में मध्य का स्थान ) में छींक आये तो हानिकारक हैं  ।

३) दक्षिण दिशा की और छींक आये तो मरणतुल्य कष्ट होगा ।

४) नैऋति दिशा ( दक्षिण और पश्चिम दिशा के मध्य का स्थान ) में छींक आये तो दुःख देगा ।

५) पश्चिम दिशा में छींक आये तो शुभ कार्य और सम्पत्ति का सूचक हैं  ।

६) वायव्य दिशा ( पश्चिम और उत्तर दिशा के मध्य का स्थान ) में छींक आये तो अति शीघ्र आपको शुभ समाचार मिलेगा ।

७) उत्तर दिशा में छींक आये तो धन लाभ होगा ।

८) ईशान कोण ( उत्तर और पूर्व दिशा के मध्य का स्थान ) में छींक आये तो लक्ष्मी और विजय प्राप्ति में सहायक माना गया है। 

नोट : यदि १ बार छींक आये तो अशुभ लक्षण और यदि २ बार ( एक के बाद एक तुरंत ऐसे दो बार) छींक आये तो शुभ लक्षण माना गया है।

गधा और शकुन शास्त्र Gadha aur Shakun Shastra

निर्गमे वामतः श्रेष्टः प्रवेशे दक्षिणे शुभः ।

पृष्टतेश्च नगन्तव्य, सन्मुख पथ भञ्ञकः ।।

यदि गांव से बाहर निकलते समय, गधा बायीं ओर से और गांव में प्रवेश करते समय दाहिनी ओर से प्रवेश करते हुए दिखे तो शुभ शकुन जानना  चाहिए । और यदि गधा आपके पीछे पीछे दिखे तो यात्रा न करें। यदि सम्मुख मिल जाए तो वह मार्ग का विध्वंसक बन जाता हैं ।

पहली बार गधे का रेंकना हानिकारक होता हैं , दूसरी बार सफल होता हैं , तीसरी बार यात्रा में नहीं जाना होता हैं , चौथी बार किसी स्त्री के साथ परिचय होता (कष्टदायक) है। संभवत: संभोग का विचार आता हैं । पांचवें बार रेंकना यह भय का सूचक हैं  , छठी  बार रेंकना यह कष्ट को दर्शाता हैं  । सातवीं  बार रेंकने से सभी कार्य सिद्ध, और आठवीं  बार रेंकना लाभ का सूचक माना गया हैं  ।

शकुन शास्त्र पर विशेष टिपणी : Shakun Shastra Tips

(१) वैश्या (२) जलपात्र या मिटटी का घड़ा (३) मदिरा (४) मिट्टी और (५) मांस, ये पांच वस्तुएँ  यदि मिल जाएं या यात्रा के वक़्त दिख जाए तो समझें – मनुष्य को घोर कष्ट होता है ।

(१) अग्नि (२) फूल (३) दीपक (४) दही (५) घी (६) फल और (७) दर्पण, यदि ये सातों चीजें एक साथ मिल जाएं तो व्यक्ति छत्रधारी राजा बन जाता है।

आशा है आज के इस लेख से आपको जीवन में एक दिशा निर्देशन मिलेगा और यदि मेरा छोटा सा प्रयास  अच्छा लगे तो इस ब्लॉग को अपने मित्रों  में शेयर करे ।

आपका अपना,

नीरव हींगु