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साबर मंत्र विज्ञान:  विश्वास किया जाता है कि जहां साबर मंत्र की उत्पत्ति मानव की  सभ्यता से हुआ है उसका मुख्य कारण है कि शाबर मंत्र प्रयोग प्राचीन कालीन जनजातियों  से लेकर संत महात्माओं तक और अशिक्षित से लेकर शिक्षक व्यक्तियों तक पाया गया है। 

साबर मंत्र का विज्ञान और इतिहास

इसका प्रयोग तो पहले मनुष्य जीवन के हर पहलू में कार्य सिद्धि के लिए किया जाता था क्योंकि जनसमूह उस समय अधिकतर शिक्षक वर्ग के अंतर्गत नहीं आता था परंतु आज का मानव सभ्यता से काफी उपर उठ चुका है और विकसित अवस्था में आ चुका है । आधुनिक काल के लोग अधिक शिक्षित किन्तु  काफी व्यस्त हो चुके हैं।


मनुष्य कितना भी अधिक व्यस्त हो चुका है परन्तु वह अपना कार्य बहुत ही जल्दी  सिद्ध करना  चाहता है और  किसी भी प्रकार से पूर्ण करने के लिए हमेशा लालायित ही रहता है। इसके लिए  वह कई प्रकार के मंत्र-तंत्र-यंत्र का सहारा ढूंढता  रहता है जिससे वह अपने कार्य की सिद्धि बड़ी  ही सरलता से कर सके। 

किसी कार्य सिद्धि के लिए, कई बार तांत्रिक मंत्र पूजा आदि लोगों के हाथ में पड़ जाता है जिन्हें इस आध्यात्मिक मंत्र विज्ञान का ज्ञान नहीं के बराबर होता है।

कुछ पाखंडी , झूठे तांत्रिक-मांत्रिक जो गंदे विचारों से युक्त होते  हैं  जिनके पास वैज्ञानिक तथ्यों के साथ इस मंत्र का ज्ञान नहीं रहता।

आज कल  सुनने में आता है कि अमुक ने   तांत्रिक या मांत्रिक विधियों से अपने व्यापार में रातों रात  उन्नत्ति  के लिए मदद ली।  कई  नेता-राजनेता अपनी बाधाओं को दूर करने के लिए अमुक व्यक्ति तांत्रिक / मांत्रिक के पास अनुष्ठान आदि करा रहा है या विशेष प्रकार की माला मंत्र जप और ताबीज धारण कर रहा है या कर रही है।

हमारे पुरातन काल ग्रंथों के अंदर में मंत्र, तंत्र और यंत्र का विधान जरूर पाया गया है लेकिन उसमें वैज्ञानिक तथ्यों के साथ उसका समावेश किया गया था जो आज के तथाकथित अपने आपको श्रेष्ठतम विद्वान और विशेषज्ञ मानने वाले लोगों के पास वैज्ञानिक तथ्यों का अभाव है।

साबर मंत्र और तंत्र का प्रयोग आपको विशेष रूप से भारत में मिलेगा और उसमें भी उत्तर भारत और उत्तरी पूर्व भारत के गढ़वाल, आसाम के  कामाख्या में है ।

वहां आपको इस मंत्र का ज्ञान और उसके विद्वान अधिकतर मिलेंगे आपको जंगल और ग्रामीण जातियों में इस अद्भुत मंत्र विज्ञान का जरूर आपको मिलेगा ।

किंतु  समाज का  शिक्षित वर्ग इससे मुक्त नहीं हो पाया है यानि उन्हें इसका वैज्ञानिक तथ्य और पूरी पद्धति के ज्ञान के अभाव में रहे हैं ।


साबर मंत्रों की विशेषता:

साबर मंत्रों की विशेषता उसकी सरलता और उच्चारण ध्वनि के अंतर्गत पाया गया है जिसे ग्रामीण और अशिक्षित व्यक्ति भी बड़ी ही सरलता से साबर मंत्र को सिद्ध कर श्रेष्ठ तांत्रिक- मन्त्रिक बन कर अपना स्थान मानव समाज में बना लेता है।

साबर मंत्रों का प्रयोग जीवन के हर क्षेत्र में चाहे दुख हो व्याधि हो शत्रु बाधा हो कोर्ट कचहरी हो या जीवन में धन उपार्जन का सवाल हो या फिर मंत्र तंत्र चित्र में जादू टोने का प्रश्न हो या  दैनिक जीवन में दुष्ट ग्रहों का प्रभाव हो इन सभी से मुक्ति पाने के लिए शाबर मंत्र का प्रयोग किया जाता है।

इस पवित्र साबर मंत्र को सिद्ध करने के लिए साधक को किसी भी तांत्रिक मन्त्रिक सामग्री आदि या लम्बी विधि-विधान की आवश्यकता नहीं होती, जो आपको वेदोक्त और संस्कृत मंत्रों में मिलने को रहता है। 

चाहे तो जिस धर्म या सम्प्रदाय को मानाने वाले हो यह शाबर मंत्र की साधना कर सकता है। चाहे वह रात में करें या वह दिन में करें, मंगलवार के दिन या दीपावली के दिन एकादशी सूर्यग्रहण 108 बार किसी भी शाबर मंत्र का जाप करने से और प्रति मंत्र के हवन जल्दी ही सिद्ध हो जाता है।

इन पवित्र साबर मंत्रों को पुनर्जागरण करने के लिए पुण्य प्राप्त करने के लिए प्रतिवर्ष उसे पवित्र पर्व त्यौहार में जैसे के दीपावली नवरात्रि महाशिवरात्रि सूर्यग्रहण चंद्रग्रहण होली आदि शुभ पर्व पर पवित्र साबर मंत्र को पूर्व की भांति 108 बार जप और हवन किया जाता है।

सामर्थ्य हो तो आपको चाहिए कि कम से कम पवित्र होकर संध्या वंदन, प्राणायाम आदि करके  21 माला मंत्र जप करें और फिर उसका दशांश हवन कर दे ।
जिस मंत्र की सिद्धि आप चाहते हो वह साबर मंत्र जल्दी ही सिद्ध हो जाते हैं। जो शाबर मंत्र स्वयं सिद्ध होते हैं, साधक को चाहिए कि उस मंत्र के उच्चारण उसके ध्वनि उसकी भाषा नहीं करना चाहिए वरना शाबर मंत्र सिद्ध नहीं होता।


कुछ लोग मंत्र और शाबर तंत्र को टोना-टोटकाकहते हैं पर मेरा मानना है कि शाबर मंत्र में टोने टोटके कम है, वैज्ञानिक तथ्यों के साथ विज्ञान अधिक मात्रा में पाया गया है।

किसी व्यक्ति के कष्ट के लिए या स्वयं के कष्ट के लिए या किसी की रक्षा करनी हो तो इस पवित्र और मंगल भावना से आपको शाबर मंत्र जरूर इस्तेमाल करना चाहिए ।

किसी को कष्ट पहुंचा कर परेशान करना हो या मनुष्य आपको कष्ट पहुंचाने में असमर्थ हो तो ऐसी सूरत में शाबर मंत्र का प्रयोग करना बिल्कुल अनुपयुक्त है क्योंकि शाबर मंत्र का उपयोग भगवान शंकर के अवतार भगवान गोरक्षनाथ जी के द्वारा हुआ है और मंत्र की उत्पत्ति मंगल भावना हेतु की गई है।

कलिकाल से ही  कुछ लोग प्रत्यक्ष रूप से या अप्रत्यक्ष रूप से टोना टोटका का सहारा लेकर इसका दुष-परिणाम साथ में लेकर किसी भी व्यक्ति को परेशान करने का प्रयत्न करते  रहते हैं  जिसे हमारा शास्त्र और कोई भी धर्म सम्मत्ति  नहीं देता ।

कई बार किसी व्यक्ति विशेष को सजा देखकर समाचार पत्रों में हमने कई बार पढ़ा है कि अमुक व्यक्ति ने अमुक व्यक्ति को मारण प्रयोग से समाप्त कर दिया ।

तो ये जो  प्राण तक लेने का तंत्र है यानि मारण-प्रयोग  कुछ लोग करते हैं वो अनैतिक माना गया है । 

मंगल कार्य के लिए मंत्रों का प्रयोग करने वाले और लोक कल्याण के लिए मंत्र तंत्र का उपयोग किये जा सकते हैं।

ऐसा भी देखा गया है कि कई तांत्रिक टोना-टोटका और काला जादू की प्रक्रिया से जन समूह को आकर्षित करके अपनी  प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं।

इसलिए यहां पर यह मैसेज पोस्ट कर देना चाहता हूं कि मंत्र और तंत्र की उत्पत्ति ईश्वर ने केवल मंगल कार्यों के लिए किया है यहां के अशुभ कार्यों के लिए श्री भगवान् और उनके पार्षदों में बिलकुल इसकी अनुमति नहीं देते ।

जब मानव जाति निरक्षर और जंगली थी तब संस्कृति सभ्यता का निर्माण और विकास नहीं हुआ था,तभी से टोना-टोटका प्रयोग अनादि काल से ही किया जाता रहा है।

वेद, उपनिषद, आदम शास्त्र, और तंत्र शास्त्र और पुराणों में बहुत समय के पश्चात भाषा का जब निर्माण और विकास हुआ, मानव जाति को और भाषा विज्ञान को भी परिमार्जन कर शास्त्रीय रूप प्रदान किया । तब  इस प्रकार से मंत्र विज्ञान का विकास और पुनरुद्धार किया गया।

जिस प्रकार क्रमशः मानव समाज विकसित होता गया उसी प्रकार मनुष्य की शिक्षा आवश्यकताओं में वृद्धि के साथ-साथ असुरी प्रवृति जैसे के काम-क्रोध-मद-लोभ-मोह और अहंकार की वृद्धि होती गई और इसी कारण मानव अपने मन को कुंठित और विकसित अवस्था में भी ले गया।

पर इसके साथ ही मानव जाति को टोने और टोटके की आवश्यकता पड़ी क्योंकि  उसे अपने कार्य के अनुरूप व विकसित और परिवर्तित क्रिया करते देखा गया है ।

प्राचीन काल में मनुष्य टोटके के लिए, सदा ही अपने परिजनों के मंगल भावनाओं को दृष्टि में रखते हुए कष्ट और रोग व्याधियों को निवारण करने के लिए साबर मंत्र प्रयोग करता था । 

जैसे गर्भस्थ शिशु की रक्षा करने को लेकर मनुष्य की मृत्यु पर्यटक इस पवित्र मंत्र विज्ञान उपयोग किसी ने किसी विशेष कार्य के लिए उपयोग किया जाता था और साथ ही साथ टोना-टोटका का प्रयोग भी शुभ कार्य के लिए किया जाता था ।

और यह भी देखा गया है के मंत्र विज्ञान और टोने- टोटके को गंदे कार्य के लिए भी उपयोग किया जाता है जैसे के राग द्वेष उत्पन्न करना हो। मारन-  मोहन- वशीकरण-उच्चाटन क्रिया  आदि कार्यों के लिए आज भी टोना और टोटका और तंत्र का उपयोग किया जाता है । 

जिसको मैं कहता हूं केवल अनीति कार्य कहता हूँ , पर साथ में यह जघन्य कार्य के लिए शास्त्र इसकी अनुमति नहीं देता।

साबर मंत्र और टोना टोटका में अंतर

टोना टोटका दोनों में जमीन आसमान का अंतर माना गया है । 

टोटका में  किसी शास्त्रीय विधान या मंत्र जप आदि का नियम नहीं है और इसका उपयोग सदा ही मांगलिक भावना से शुभ कार्यों के लिए चाहे वह शुभ कार्य स्वयं के लिए हो अथवा व्यापार के लिए हो किया जाता है। जबकि टोना के लिए एक प्रकार का विशेष अनुष्ठान करना पड़ता है।

अधिकतर जनता/तांत्रिक  अलग-अलग कार्यों के लिए अलग-अलग मंत्रों से किया जाता है क्योंकि अलग-अलग कार्यों के लिए अलग-अलग मंत्र शास्त्र में निश्चित कर दिए गए हैं।

कही कही पर इस पवित्र मंत्र विज्ञान को कार्य सिद्धि के लिए साधक को हर अशुभ कार्य हेतु पशु बलि  दी जाती है , ऐसा  कहीं-कहीं पर लिखा गया है जो कि नीति शास्त्र के अनुकूल नहीं माना गया है और वेदांत इसकी अनुमति कभी नहीं देता।

कई बार चैनल पर या समाचार पत्रों के द्वारा अनेक बार यह खबर आती  है कि अमुक व्यक्ति ने अमुख  लोगों को संतान प्राप्ति के लिए किसी पशु बलि या नरबलि का उपदेश देखकर उसका अपहरण  किया व पकड़े गए।

ग्रामीण वर्गों में, गांव में और कई बार तो शहरों में भी यह अविश्वास/अंधविश्वास देखा गया है ।

विशेषकर छोटी जातियों में भूत प्रेत पिशाच और प्रेत बाधा दूर करने के लिए या अपने इष्ट देव को प्रसन्न करने के लिए सूअर का बच्चा, मुर्गा या बकरी की या नरबलि देने का विधान प्रचलित हुआ है जो किसी भी प्रकार शास्त्र के के अनुसार नहीं है और जो धर्म के और मनुष्य धर्म के बिल्कुल विपरीत माना गया है।

इसीलिए सच्चे वेदांती और मन्त्रज्ञ और तांत्रिक को चाहिए कि  इस पवित्र साबर मंत्र और वेदोन्त मंत्रों  का वैज्ञानिक विवेचन कर उसका प्रचार जन मानस में करे ।

आशा रखता हूँ , मेरा यह छोटा सा प्रयास – हमारे पुरातन काल के ज्ञान से जन मानस में प्रकाश फ़ैलाने में मदद करेगा ।

उसका प्रचार जन मानस में करे ।

आशा रखता हु मेरा यह छोटा सा प्रयाश – हमारे पुरातन काल के ज्ञान से जन मानस प्रकाश फ़ैलाने में मदद करेगा ।

आपका हितेषी,

नीरव हिंगु