पिछले हफ्ते हमने श्री रामचरितमानस चौपाई के मंत्रों पर विस्तार से विचार किया था। उस लेख में मैंने केवल संक्षिप्त में श्री रामचरितमानस चौपाई मंत्रों  का वर्णन और उनके  (रामचरितमानस मंत्रों के) फायदों का उल्लेख किया था। पर हर मंत्र की सिद्धि का विधि -विधान होता है, तब कहीं रामचरितमानस चौपाई के मंत्र सिद्धि प्राप्ति होकर – फलप्रद होते हैं।

Ramcharitmanas Ki Chaupai Mantra श्री राम चरितमानस चौपाई के मंत्र सिद्धि का विधान

Ramcharitmanas Ki Chaupai Mantra / मानस मंत्र को सिद्ध करने के लिए हवन करना चाहिए – और इस हवन में १२ वस्तुएं   लगती हैं ,जैसे :

१) चन्दन का बुरादा 

२) तिल

३) शुद्ध चीनी 

४) शुद्ध देशी घी 

५) अगर की जड़ का पाउडर 

६) तगर की जड़ का पाउडर 

७) कपूर 

८) केसर 

९) नागरमोथा 

१०) पंचमेवा ( बादाम,पिस्ता,किसमिस,अखरोट और काजू )

११ ) जौ 

१२) चावल 

Ramcharitmanas Ki Chaupai Mantra Vidhi श्री राम चरितमानस के मंत्र सिद्ध करने की विधि –

१ )  सामने श्रीराम , लक्ष्मण , सीता, भारत, शत्रु और हनुमान जी का चित्र रखें  ।

२ ) ऊपर लिखी गयी सारी सामग्री को मिला लें। सवा सेर ( ११५८ ग्राम )सामग्री इस पूरी प्रक्रिया के लिए काफी होती है। 

३) हर एक आहुति लगभग १ तोले की होनी चाहिए । (१ तोला यानि १० ग्राम और १ सेर यानि ९३३ ग्राम)

४) प्रत्येक मंत्र की सिद्धि के लिए मंत्र पढ़ते हुए, १०८ आहुतियाँ देनी होती हैं। 

५) सर्वप्रथम पृथ्वी, गणेश पूजन, कलश पूजन और नवग्रह पूजन करें। फिर इष्ट देवी पूजन करें  फिर श्री तुलसीदास जी का पूजन करें ।

६) सब कार्य रात्रि में ही करें ।भगवान विश्वनाथ को साक्षी रख कर रात को १० बजे के बाद साधना करनी चाहिए ।

७) साधक का मुँह काशी की ओर होना  चाहिए  ।

८) इन सब बातो को गुप्त रखना चाहिए – किसी को बतायें  नहीं ।

९) सर्व प्रथम १०८ आहुति देकर निम्न लिखित चौपाई को सिद्ध कर लें ।

Ramcharitmanas Ki Chaupai Mantra For Suraksha रक्षा मंत्र चौपाई

माम भिरक्षय  रघुकुल नायक ।

धृतकर चाप रुचिकर सायक ॥

मंत्र सिद्धि के बाद, जब भी श्री रामचरितमानस चौपाई के मंत्र को सिद्ध या प्रयोग करना हो तब साधक को चाहिए इस रक्षा मंत्र की १ माला जरूर करें और साथ ही इसी रक्षा मन्त्र से अपने चारों ओर एक लकीर खींच ले ।

Note : यदि आप किसी अज्ञान या ऐसे स्थान जा रहे हैं  , जहा पर आपको असुरक्षा या डर महसूस हो, या विवशतावश उस स्थान पर रहना पड़े , तो उस अवस्था में उस समय इस रक्षा मंत्र को ५ या ११ बार या उत्तम होगा १०८ बार पढ़कर चारो ओर चावल के दाने फेंके और चारों ओर (अपने आसान या शैया ) एक रेखा खींच ले – तब आपको कोई भय नहीं रहेगा ।

श्री रामचरितमानस चौपाई मंत्रों  के कुछ महत्वपूर्ण नियम : Rules for Ramcharitmanas Ki Chaupai Mantra Siddhi

१) इस  मानस मंत्र को सिद्ध करने के लिए आपको पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना होगा ।

२) नियमित सात्विक आहार लेना है और जीवन हमेशा सत्य वचन का पालन करना है ।

३) यह साधना आपको पीपल के वृक्ष , वट वृक्ष , तुलसी, बेल का पेड़ , शिवालय , राम  मंदिर या हनुमान मंदिर में ही संपन्न करें ।

४) साधना केवल शुभ मुहूर्त देखकर ही शुरु करें।

५) मन्त्र सिद्धि के बाद उत्तम होगा यदि साधक सिद्ध पर्व ( जैसे होली, दिवाली , महाशिवरात्रि, ग्रहण आदि ) पर मंत्र की १ माला या ५ माला या ११ माला जाप कर लें ।

६) विशेष लाभ के लिए सिद्ध पर्व पर रात को १२ बजे के बाद मंत्र जाप करें – इससे विशेष मंत्र बल प्राप्त होता है ।

७) चैत्र, वैशाख, माघ और कार्तिक मास इस पवित्र “श्री राम चरितमानस चौपाई मंत्र” की साधना के लिए अति उत्तम होता है ।

९) यदि यह मानस मंत्र , चैत्र नवरात्रि –  शुक्ल पक्ष्य नवमी जिसे श्री राम नवमी भी कहते हैं, उस समय सिद्ध किया जाए तो  विशेष आत्मिक और मन्त्रिक बल मिलेगा ।

Ramcharitmanas Ki Chaupai Mantra श्री रामचरितमानस चौपाई मंत्र:

विपत्ति नाशक मंत्र – 

राजीव नयन धरे धनु सायक – भगत विपत्ति भंजक सुखदायक ॥

हनुमानजी को प्रसन्न करने  के लिए – सुमिरि पवनसुत पावन नामू । अपने वश करि राखे रामू ॥

माथा पीड़ा के लिए – हनुमान अंगद रन गाजे । हाँक सुनत रजनीचर भाजे ॥

खोई वस्तु मिलने के लिए – गई बहोर गरीव नेवागु । सरल सवल साहिब रघुराजू ॥

दरिद्रता को नाश के लिए – अथिति पूज्य प्रियतम पुरारिके । काम द धन दारिद दवारि के ॥ जे काम नर सुनहि जे गावहि । सुख सम्पत्ति नाना विधि पावहि ॥

 शत्रुता मिटाने के लिए – बयरु न कर काहू सन कोई । राम प्रताप विषमता खोई ॥

पुत्र प्राप्ति के लिए – दानि शिरोमणि कृपानिधि नाथ कहउँ सतिभाउ चाहउँ तुमहि समान सूत प्रभुसन  कवन दुराउँ ।  प्रेम मगन कौशल्या निशिदिन  जात न जान । सूत सनेह बस माता बालचरित कर गान ॥

गुप्त मनोरथ सिद्धि के लिए – सुनहू देव सचरा चर स्वामी प्रनतपाल उर अंतयामी  । मोर मनोरथ जानउ नीके बसउ सदा उरपुर सवहिके  ॥

मारण और ग्रहदोष बाधा के लिए – मंगल भवन अमंगल हारी । द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ॥

शत्रु का सामना करने लिए – कर सारंग साज़ि कटी भाथा । अरिदल दलन चले रघुनाथा ॥

आकर्षण के लिए – जेहि के जेहि प‍र सत्य सनेहू। सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू ॥

मोहित करने के लिए – करतल बाण धनुष अति सोहा । देखत रूप चराचर मोहा ॥

वशीकरण के लिए – जन मन मंजू  मुकुल मल हरनी । किये तिलक गुन गन बस करनी॥

कार्य सिद्धि के लिए – स्वयं सिद्ध सब काम नाथ । मोहि आदर दियो अस विचार युवराज तन पुलकित हरसित कियउ॥

यात्रा सफलता के लिए – प्रबिसि नगर कीजै सब काजा। ह्रदयँ राखि कोसलपुर राजा ॥

आप सभी पर कौशलधीश रघुकुल नायक श्री रामचंद्र जी का आर्शीवाद प्राप्त हो। यही मेरी अभिलाषा है ।

जय श्री राम !

नीरव हिंगु