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मंत्र साधना, ज्योतिष और इष्टदेव का चुनाव 

How to Find Ishta Devta from your Astro Birth Chart

मैंने अपने ब्लॉग पर कई मंत्र और तंत्र-साधना, २०१७ से प्रकाशित किये हैं और मेरी प्रत्येक साधना का फल भी सर्वोच्च अवस्था में लेकर जाता है । 

कई लोगो को साधना में वर्षों बीत जाते हैं  पर सफलता नहीं मिलती है। ऐसे ही  साधना में सिद्धि के लिए सात्विक उपासना और उसमे भी निष्काम उपासना सर्वश्रेष्ठ मानी गयी है। आहार, गुरु सेवा , ब्रह्मचर्य और साधना की बारीकी पर विशेष ध्यान देना चाहिए ।

How to Find Ishta Devta

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How to Find Ishta Devta from 12 House

कई साधकों  को अपने पूर्व जन्म  का ज्ञान नहीं होता कि उन्होंने  पूर्वजन्म में किस देवता की साधना की अथवा मेरा कौन सा इष्ट है जिसकी साधना मुझे त्वरित सफलता देगी। 

यहाँ पर ज्योतिष उन जिज्ञासुओं, साधकों  को मदद करता है की आपने कुंडली अनुसार किस देवी देवता अथवा इष्ट का चुनाव कर साधना कर जिससे जल्द ही सफलता मिले । जन्म  कुंडली में नवम भाव का प्रमुख भूमिका होती है और साधक अपनी नवम भाव पर दृष्टि  डालकर इष्ट चुनाव करे । 

यदि आपकी कुंडली नहीं हो तब – हस्तरेखा से अथवा हाथ के अंगूठे से भी जन्म कुंडली का निर्माण किया जा सकता है । भारत में शायद ही ऐसे विद्वान बचे हैं -जो इस विद्या के जानकार हो ।

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How to Find Ishta Devta

How to Find Ishta Devta for Satvik Upasana

१. यदि जन्म  कुंडली में गुरु, मंगल और बुध साथ में हो या गुरु, मंगल और बुध की परस्पर दृष्टि  हो तो वह व्यक्ति साधना क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है ।

२. गुरु- बुध दोनों ही नवम भाव में हो तो वह ब्रह्म साक्षात्कार कर सकने में सफल होता है ।

३. सूर्य उच्च का होकर लग्नेश के साथ हो तो वह श्रेष्ठ साधक होता है ।

४. यदि लग्नेश पर गुरु की दृष्टि हो तो वह स्वयं मन्त्र स्वरूप हो जाता है, मन्त्र उसके हाथों में खेलते हैं।

५. यदि दशमेश दशम स्थान में हो तो वह व्यक्ति साकार उपासक होता है ।

६. दशमेश शनि के साथ हो तो वह व्यक्ति तामसी उपासक होता है ।

७. अष्टम भाव में राहू हो तो जातक अद्भुत मन्त्र-साधक तांत्रिक होता है । पर ऐसा व्यक्ति अपने आपको गोपनीय बनाये रखता है ।

८. दशमेश का शुक्र या चन्द्रमा से संबंध हो तो वह दूसरों की सहायता से उपासना-साधना में सफलता प्राप्त करता है ।

६. यदि पंचम स्थान में सूर्य हो, या सूर्य की दृष्टि हो तो वह शक्ति उपासना में पूर्ण सफलता प्राप्त करता है ।

१०. यदि पंचम एवं नवम भाव में शुभ बली ग्रह हों तो वह व्यक्ति सगुणोपासक होता है ।

११. नवम भाव में मंगल हो या मंगल की दृष्टि हो तो वह शिवाराधना में सफलता पा सकता है ।

१२. यदि नवम स्थान में शनि हो तो जातक साधु बनता है। यदि ऐसा शनि स्वराशि या उच्च राशि का हो तो व्यक्ति वृद्धावस्था में विश्व प्रसिद्ध संन्यासी होता है ।

१३. जन्म कुण्डली में सूर्य बली हो तो शक्ति उपासना करनी चाहिए ।

How to Find Ishta Devta

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१४. चन्द्रमा बली हो  तो तामसी उपासना में सफलता मिलती है ।

१५. मंगल बली हो तो शिव उपासना से मनोरथ प्राप्त करता है ।

१६. बुध प्रबल हो तो तंत्र साधना में सफलता प्राप्त करता है ।

१७. गुरु श्रेष्ठ हो तो साकार ब्रह्म उपासना से ख्याति मिलती है ।

१८. शुक्र बलवान हो तो मन्त्र साधना में पूर्णता प्राप्त होती है ।

१६. शनि बलवान हो तो जातक-जातक सिद्ध उपासक होकर विख्यात होता है, ऐसा जातक तंत्र एवं मंत्र दोनों में ही सफलता प्राप्त करता है ।

२०. यदि लग्न या चन्द्रमा पर शनि की दृष्टि हो तो जातक सफल साधक बन सकता है ।

२१. यदि चन्द्रमा नवम भाव में हो और उस पर किसी भी ग्रह की दृष्टि न हो तो वह व्यक्ति निश्चय ही संन्यासी बन कर सफलता प्राप्त करता है ।

२२. दशम भाव में तीन ग्रह बलवान हों, वे उच्च के हों, तो निश्चय ही जातक साधना में उन्नति प्राप्त करता है ।

२३. दशम भाव का स्वामी सप्तम भाव में हो तो व्यक्ति तांत्रिक क्षेत्र में सफलताएं प्राप्त करता है ।

२४. दशम भाव में उच्च राशि के बुध पर गुरु की दृष्टि हो तो जातक जीवन्मुक्त हो जाता है ।

२५. बलवान नवमेश गुरु या शुक्र के साथ हो तो व्यक्ति निश्चय ही साधना क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। 

२६. यदि दशमेश दो शुभ ग्रहों के बीच में हो तो जातक को साधना में सम्मान मिलता है ।

२७. यदि वृषभ का चन्द्र गुरु-शुक्र के साथ केन्द्र में हो तो व्यक्ति उपासना क्षेत्र में उन्नति करता है ।

२८. दशमेश लग्नेश का परस्पर स्थान परिवर्तन योग यदि जन्म कुण्डली में हो तो व्यक्ति निश्चय ही सिद्ध बनता है ।

२६. यदि सभी ग्रह चन्द्र और गुरु के बीच हों तो व्यक्ति तांत्रिक क्षेत्र की अपेक्षा मंत्रानुष्ठान में विशेष सफलता प्राप्त कर सकता है ।

३०. यदि केन्द्र और त्रिकोण में सभी ग्रह हों तो जातक प्रयत्न कर साधना क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है । 

इसके अतिरिक्त भी कई योग होते हैं । पर मैंने केवल उन कुछ योगों का वर्णन किया है जिसके आधार पर यह ज्ञात हो सकता है कि साधक के लिए कौन-सी साधना उपयुक्त रहेगी ।

आपका हितेषी,
नीरव हींगु