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Daridra Dahan Shiv Stotra क्या है?

Daridra Dahan Shiv Stotra एक प्रभावशाली संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान शिव को समर्पित है। “दरिद्र दहन” का अर्थ है “दरिद्रता को नष्ट करने वाला”, जो इस स्तोत्र के मुख्य उद्देश्य को दर्शाता है – जीवन से दरिद्रता और आर्थिक कष्टों को दूर करना।

इस स्तोत्र का नियमित पाठ श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, जिससे आध्यात्मिक उन्नति के साथ-साथ भौतिक सुख-समृद्धि भी प्राप्त होती है।

Daridra Dahan Shiv Stotra

Daridra Dahan Shiv Stotra

Daridra Dahan Shiv Stotra के लाभ 

1. दरिद्रता और आर्थिक संकट से मुक्ति

इस स्तोत्र का मुख्य उद्देश्य है – आर्थिक परेशानियों और दरिद्रता को समाप्त करना। भगवान शिव की कृपा से जीवन में स्थिरता और धन की प्राप्ति होती है।

2. समृद्धि और सफलता की प्राप्ति

यह स्तोत्र जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर कर, समस्त क्षेत्रों में सफलता पाने में सहायक होता है।

3. मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति

यह स्तोत्र केवल धन ही नहीं, बल्कि मन की शांति और आध्यात्मिक संतुलन भी प्रदान करता है।

4. नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा

Daridra Dahan Shiv Stotra का पाठ करने से जीवन में आने वाली नकारात्मक ऊर्जा और दुर्भाग्य दूर होता है।

5. इच्छाओं की पूर्ति

सच्चे मन से इस स्तोत्र का जाप करने से जीवन की सद्कामनाएं पूर्ण होती हैं।

Daridra Dahan Shiv Stotra का आध्यात्मिक महत्व

हालांकि यह स्तोत्र मुख्यतः आर्थिक उन्नति के लिए प्रसिद्ध है, परंतु इसका गहरा आध्यात्मिक संदेश है। भगवान शिव के प्रति समर्पण और भक्ति ही इस स्तोत्र की आत्मा है। यह हमें याद दिलाता है कि असली समृद्धि न केवल धन में, बल्कि मानसिक संतोष, आत्मिक बल, और चिंता-मुक्त जीवन में है।

Daridra Dahan Shiv Stotra

Daridra Dahan Shiv Stotra

Daridra Dahan Shiv Stotra का पाठ कैसे करें? 

  • प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।

  • भगवान शिव का ध्यान करें और दीपक जलाएं।

  • शांत वातावरण में बैठकर श्रद्धापूर्वक स्तोत्र का पाठ करें।

  • नित्य नियम बनाकर पाठ करें, विशेषतः सोमवार और प्रदोष व्रत पर।

निष्कर्ष (Conclusion)

Daridra Dahan Shiv Stotra केवल एक आर्थिक समाधान नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। इसका जाप न केवल धन की प्राप्ति करता है, बल्कि जीवन में संतुलन, सुख और ईश्वरीय आशीर्वाद भी लाता है। जो भी व्यक्ति सच्चे मन से भगवान शिव की शरण में जाता है, उसकी दरिद्रता नष्ट होती है और समृद्धि उसका मार्ग प्रशस्त करती है।

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र का अर्थ

विश्वेश्वराय नरकार्णव तारणाय
कर्णामृताय शशिशेखर धारणाय
कर्पूरकांति धवलाय जटाधराय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय…

गौरी प्रियाय रजनीशकलाधराय
कालान्तकाय भुजगाधिप कंकणाय
गंगाधराय गजराज विमर्दनाय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय…

भक्तिप्रियाय भवरोग भयापहाय
उग्राय दुर्गभवसागर तारणाय
ज्योतिर्मयाय गुणनाम सुनृत्यकाय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय…

चर्माम्बराय शवभस्म विलेपनाय
भालेक्षणाय मणिकुंडल मण्डिताय
मंजीर पादयुगलाय जटाधराय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय…

पंचाननाय फनिराज विभूषणाय
हेमांशुकाय भुवनत्रय मण्डिताय
आनंदभूमिवरदाय तमोमयाय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय…

भानुप्रियाय भवसागर तारणाय
कालान्तकाय कमलासन पूजिताय
नेत्रत्रयाय शुभलक्षण लक्षिताय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय…

रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय
नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरर्चिताय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय…

मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय
गीतप्रियाय वृषभेश्वर वाहनाय
मातंग चर्मवसनाय महेश्वराय
दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय…

 

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र और अर्थ


जो विश्व के स्वामी हैं,
जो नरकरूपी संसारसागर से उद्धार करने वाले हैं,
जो कानों से श्रवण करने में अमृत के समान नाम वाले हैं,
जो अपने भाल पर चन्द्रमा को आभूषणरूप में धारण करने वाले हैं,
जो कर्पूर की कांति के समान धवल वर्ण वाले जटाधारी हैं,
दारिद्र्य रुपी दुःख का नाश करने वाले शिव को मेरा नमन है|

जो माता गौरी के अत्यंत प्रिय हैं,
जो रजनीश्वर(चन्द्रमा) की कला को धारण करने वाले हैं,
जो काल के भी अन्तक (यम) रूप हैं,
जो नागराज को कंकणरूप में धारण करने वाले हैं,
जो अपने मस्तक पर गंगा को धारण करने वाले हैं,
जो गजराज का विमर्दन करने वाले हैं,
दारिद्र्य रुपी दुःख का नाश करने वाले शिव को मेरा नमन है|

जो भक्तिप्रिय, संसाररूपी रोग एवं भय का नाश करने वाले हैं,
जो संहार के समय उग्ररूपधारी हैं,
जो दुर्गम भवसागर से पार कराने वाले हैं,
जो ज्योतिस्वरूप, अपने गुण और नाम के अनुसार सुन्दर नृत्य करने वाले हैं,
दारिद्र्य रुपी दुःख का नाश करने वाले शिव को मेरा नमन है|

जो बाघ के चर्म को धारण करने वाले हैं,
जो चिताभस्म को लगाने वाले हैं,
जो भाल में तीसरा नेत्र धारण करने वाले हैं,
जो मणियों के कुण्डल से सुशोभित हैं,
जो अपने चरणों में नूपुर धारण करने वाले जटाधारी हैं,
दारिद्र्य रुपी दुःख का नाश करने वाले शिव को मेरा नमन है|

जो पांच मुख वाले नागराज रूपी आभूषण से सुसज्जित हैं,
जो सुवर्ण के समान किरणवाले हैं,
जो आनंदभूमि (काशी) को वर प्रदान करने वाले हैं,
जो सृष्टि के संहार के लिए तमोगुनाविष्ट होने वाले हैं,
दारिद्र्य रुपी दुःख का नाश करने वाले शिव को मेरा नमन है|

जो सूर्य को अत्यंत प्रिय हैं,
जो भवसागर से उद्धार करने वाले हैं,
जो काल के लिए भी महाकालस्वरूप, और जिनकी कमलासन (ब्रम्हा) पूजा करते हैं,
जो तीन नेत्रों को धारण करने वाले हैं,
जो शुभ लक्षणों से युक्त हैं,
दारिद्र्य रुपी दुःख का नाश करने वाले शिव को मेरा नमन है|

जो राम को अत्यंत प्रिय, रघुनाथजी को वर देने वाले हैं,
जो सर्पों के अतिप्रिय हैं,
जो भवसागररूपी नरक से तारने वाले हैं,
जो पुण्यवालों में अत्यंत पुण्य वाले हैं,
जिनकी समस्त देवतापूजा करते हैं,
दारिद्र्य रुपी दुःख का नाश करने वाले शिव को मेरा नमन है|

जो मुक्तजनों के स्वामीस्वरूप हैं,
जो चारों पुरुषार्थों का फल देने वाले हैं,
जिन्हें गीत प्रिय हैं और नंदी जिनका वाहन है,
गजचर्म को वस्त्ररूप में धारण करने वाले हैं, महेश्वर हैं,
दारिद्र्य रुपी दुःख का नाश करने वाले शिव को मेरा नमन है|

Love & Light,

Nirav Hiingu

Shiva Kripa-Abhilashi