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वशीकरण यंत्र साधना: कई लेखो में मैने यंत्र और यन्त्र साधना पर अपने विचार स्पष्ट किये हैं और यह भी बताने का प्रयास किया है , कि मंत्र और तंत्र विद्या की तरह ही यह यन्त्र साधना भी पूर्ण सात्विक और पवित्र विद्या है , जिसे हर कोई सिद्ध करके लाभ उठा सकता है ।

यह सारे  मंत्र, तंत्र और यन्त्र के विज्ञान मनुष्य जीवन को सुखमय बनाने के लिए बनाया गया है । बस कुछ ढोंगी, पाखंडी लोग मंत्र तंत्र के नाम पर – केवल मारण , मोहन , वशीकरण , विद्वेषण की प्रक्रियाओं में ज्ञान तथा विद्या का दुरुपयोग करते हैं । कुछ स्वार्थी, लोभी ढोंगी लोगो ने इस विद्या का गलत इस्तेमाल किया – जिसके कारण आज भी सच्चे साधक – मन्त्रिक और तांत्रिक को हम अधिकतर गलत दृष्टि से देखते हैं।

तंत्र विद्या – एक विशाल समुद्र है , जिसमे असंख्य रत्न भरे हैं । मारण , मोहन , सम्मोहन , उच्चाटन आदि क्रियायें केवल तंत्र का एक छोटा सा भाग है।


तंत्र एक प्रणाली/ सिस्टम है , एक विशेष तरीका होता है जिसे पूरा करने कर जीवन संतुलित हो जाता है । इसीलिए राजतन्त्र , प्रजातंत्र आदि नाम से बताया गया है , ठीक इसी तरह जिस तरह, एक विशाल जनसमुदाय को व्यवस्थित तरीके से काम किया जाता है उसे ही तंत्र कहते हैं।

अंत : इस भ्रम को दूर करने हेतु आज मैं एक शुद्ध शास्त्रीय यन्त्र जिसे “श्री वशीकरण यंत्र” कहते हैं- उसका उल्लेख करूँगा – जिससे न केवल – वशीकरण बल्कि अन्य कार्य में भी लाभ उठाया जा सकता है । 

मैं आप सभी को सावधान करना चाहूंगा और यह बात अवश्य याद रखने की चेतावनी दूंगा कि – यदि कोई इंसान इन मंत्र यन्त्र का गलत इस्तेमाल करता है । तो उसे ही अंत समय में हानि उठानी पड़ती है । 

अर्थांत यह जरुरी है कि आप इस पवित्र विद्या का उपयोग नीतियुक्त कार्यों में ही करें – अन्यथा लाभ की जगह आपको हानि ही उठानी पड़ेगी और इसका जिम्मेदार साधक /साधिका स्वयं होगा ।

इस वशीकरण यंत्र साधना से निम्नलिखित लाभ होते है :

१) यह वशीकरण यंत्र उन कार्यो में भी फायदेमंद होता है जहां परिस्थितियों के कारण युवक या युवती के विवाह में बाधा आती है और कुंडली में दोष होने के कारण या किसी अन्य कारणों से उचित जीवन साथी नहीं मिलता है।

२) अचानक धन प्राप्ति में भी सहायक है यह यंत्र अत्यंत लाभदायक है।

३) शत्रु पक्ष से व्यापार में हानि से बचने के लिए यह यंत्र श्रेष्ठ माना जाता है।

४) गुप्त रूप से धन और प्रसिद्धि प्राप्ति के लिए , समाज में मन सामान प्राप्ति में यह वशीकरण यंत्र श्रेष्ठ उन्नति के लिए सहायक है।

५) यह वशीकरण यंत्र  उन मामलों में भी कार्य सिद्धि देता है जहां घर में संपत्ति विवाद या कोर्ट कचहरी तक पहुंच जाते हैं।

६) यह ताबीज हर महत्वाकांक्षी व्यक्ति के लिए एक जरूरी यन्त्र माना गया है।

७) शक्ति पंथ और नाथ संप्रदाय के साधकों और भक्तों के लिए वशीकरण यंत्र को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

८) यह वशीकरण यन्त्र केवल कार्य सिद्धि में ही नहीं बल्कि सम्मोहन कार्य में सिद्धि , आप को किसी को अपने अनुकूल करके बातो से  मंत्रमुग्ध करने वाला है।

९) यह वशीकरण यन्त्र आकर्षण क्रिया के साथ-साथ किसी भी कार्य सिद्धि की उपलब्धि भी देता है।

इस वशीकरण यंत्र का कोई विशेष बंधन नहीं है। इस वशीकरण यंत्र की नियमित पूजा करना आवश्यक नहीं है, केवल इसे धारण करने और दर्शन करने मात्रा से आपको अपने कार्य में सफलता प्राप्त होती है।

जो व्यक्ति इस वशीकरण यंत्र को धारण करने में असमर्थ है, उसे इस यंत्र को अपने घर के मंदिर या पूजा स्थान में स्थापित करना चाहिए और रोज सुबह-शाम स्नान करके धूप, दीप, अगरबत्ती से आरती करते रहना चाहिए।

यदि संभव हो सके तो वशीकरण यंत्र को अपने हाथों से स्वयं बनाकर प्राण-प्रतिष्ठा करके और फिर व्यवसाय या नौकरी में जाते समय अपनी जेब में रखकर जाने से काम पूरा होता ही है।

वशीकरण यन्त्र बनाने की विधि  

आपको चाहिए यन्त्र बनाने से पूर्व – अनार की कलम, पेड़ से पूर्व आग्रह व आज्ञा लेकर – शुभ मुहूर्त में लेकर आएं।

अब शुभ मुहूर्त देखकर ( शुभ चोगडिया में ) स्नान कर आसान पर बैठ जाएं और सामने बाजोट पर वस्त्र बिठाकर – गणेश गुरु /शिव की मूर्ति या चित्र की स्थापना करें , पूजन कर १ माला गुरु गणेश की करे ।

अब दाहिने हाथ में जल लेकर – संकल्प करे – “मैं (अपना नाम बोले) अमुख माता पिता – अमुख गोत्र से उत्पन्न आज शुभ (तारीख का वर्णन करे)दिन पर श्री वशीकरण यन्त्र का निर्माण कर रहा हूं – जिससे मेरा कार्य सिद्ध हो जाये। केसर की स्याही ( इंक ) पहले से पानी या गंगाजल में घोलकर तैयार करके रखें जिससे श्री वशीकरण यन्त्र का निर्माण करें।

अब अनार की कलम से भोजपत्र पर श्री वशीकरण यन्त्र का निर्माण करें ।

निर्माण हो जाने पर यन्त्र की प्राण- प्रतिष्ठा करें ।

नीचे दिए गए प्राण-प्रतिष्ठा मंत्र को ध्यान से पढ़ें ।

प्राण प्रतिष्ठा मंत्र ( श्री वशीकरण यंत्र के लिए )

ॐ अस्य श्री प्राण प्रतिष्ठा मंत्रस्य ब्रह्म विष्णु महेश्वरा ऋषय: ऋग यजु: सामा निच्छनदासी क्रिया-मयं  वपु: प्राणाख्या देवता: आम बीजं ह्रीं शक्ति: क्रौं कीलकम अश्मि नूतन वशीकरण यंत्रे विनियोग : ॥

ॐ आम ह्रीं क्रौं यँ लं वं शं षं सं हं स: सोऽहं श्री वशीकरण यन्त्रशय प्राणा इहा प्राणा : 

ॐ आम ह्रीं क्रौं यँ लं वं शं षं सं हं स: सोऽहं श्री वशीकरण यन्त्रशय जीव इहा स्थित : 

ॐ आम ह्रीं क्रौं यँ लं वं शं षं सं हं स: सोऽहं श्री वशीकरण यन्त्रशय सर्वे इन्द्राणी इहा  स्थितानि 

ॐ आम ह्रीं क्रौं यँ लं वं शं षं सं हं स: सोऽहं श्री वशीकरण यन्त्रशय  वाड़: स्तत्वक चक्षु श्रोत्र जिव्हा घाण पाणि पाद पायु पस्थानी  ईहेवा गत्य सुखम चिरं तिष्ठतु स्वाहा ॥

अब यन्त्र निर्माण हो जाने पर – यन्त्र को ताबीज़ में डालकर गले में धारण कर लें । 

यदि गले में धारण नहीं कर सकते – तो पुरुष हो तो दाहिने बाजू में और स्त्री हो तो बाएं बाजू में धारण कर सकते हैं ।

इस प्रकार वशीकरण यन्त्र धारण करने से आपको ऊपर बताये गए सारे लाभ प्राप्त होंगे।

यहाँ यह अवश्य दोबारा बताना चाहूंगा कि यह यन्त्र केवल शुभ कार्यो के लिए उपयोग करें – न की किसी को नीचा दिखाने के लिए या आपसी दुश्मनी में या क्रोध के आवेश में आकर / बदला लेने की भावना  कार्य करने से कर्म सिद्धांत के अनुसार आपको ही दुष्परिणाम (फल) भुगतना पड़ेगा । 

दुष्परिणाम के कार्यो के लिए लेखक या यह ब्लॉग उसका उत्तरदायित्व नहीं होगा ।

आशा रखता हूं मेरे इस छोटे से लेख से आप अपनी मनोकामना पूर्ति और जीवन को सुखमय बनाने में सहायक सिद्ध होगा ।

आपका विश्वासपात्र,

नीरव हींगु